03 August 2012

अन्ना टीम को देखना होगा कि क्या इनमें दम है ....

मेरे प्रोफ़ाईल को देखने मे लगता है कि देश की दुर्दशा की तक्लीफ़ सबसे बडा भार मेरे उपर ही है ............ पर अन्ना रामदेव के सैकडो हजारॊ और सच कहे तो पुरे देश मे कई करोडो लोगों का यही हाल है .......... कि वे घर शहर और देश को बनाने का सपना देखते है .......... अन्ना जैसे लोग कितनी जल्दी सफ़लता पा लेते है जिसको समझ्ने की जरुरत है ........ बाबा राम देव ने एक वैज्ञानिक राजीव दिक्षीत के साथ देश के हालात और राजनीति पर शोध किया और उसके समाधान पर विचार कर जन जागरण का काम शुरु किया ...... एक संवाद मे राजीव भाई ने कहा कि पुरी सफ़लता के लिये 470 करोड रु लगभग चाहिये और ये पैसा व्यापारियो या अन्य से न लेकर आम नागरिक और वोटर से लेने है ........ रामदेव बाबा को पहुचने मे जहाँ कई साल लग गये जब उन्होने कई करोड लोगों से बहुत छोटी सी रकम ली है और अन्ना जी को केवल कुछ दिन ही लगे इस प्रकार के अनसन कर के ......... बहुत अधिक लोग जुटा लिये .... पर आज से कुछ दिन पहले तक जहाँ पर अनशन मे कोई नही जुट रहा था वहा पर रामदेव के साथ हजारो की भीड आयी और फिर वही डटी रही .......... अन्ना भी जोर शोर से बोल दिये " जब तक शरीर मे प्राण है तब तक अनसन है " ये बोलना क्या हुआ लोग भी जोश मे आ गये और अन्ना जिन्दाबाद के नारे लगा के मैदान मे समर्थन करने लगे ......... पर अन्ना और अन्ना टीम को देखना होगा कि क्या इनमें दम है .... अन्ना - मिलेट्री भागे हूये (छोड्कर आये ) केजरीवाल - IRS से भागे हुये (छोड्कर आये ) कुमार विस्वास - पी सी एस - यु पी से भागे हुये (छोड्कर आये ) किरन बेदी ने भी समय से पहले पद का त्याग कर दिया .......... और तो और इन सब को वहा से निकले कई साल हो गये है पर किसी मे इस प्रकार की न तो निति याद आयी और न ही कोई आन्दोलन ही हुआ ये एक संयोग था क्या ............. १४ नम्बर को जब पहली कामन्वेल्थ को लेकर f I R - दर्ज करायी तो ये सब रामदेव के कहने पे मौजूद थे फिर इनहोने रामदेव के आन्दोलन को धत्ता बता के एक आन्दोलन और शुरु कर दिया ............. कल तक अन्ना अन्ना करने वाले देश पे मर मिट्ने वाले लोग अन्ना की इस आवाज पे आ गये " जब तक शरीर मे प्राण है तब तक अनसन जारी रहेगा " पर कहाँ गयी वो सच्चाई .................. कहाँ गयी वो दम ............कहाँ गया वो गाँधी ............... मै जहाँ तक जिस गाँधी को जानता हूँ उसने कभी हार नही मानी ............... कही ये मजिलों से भागने वाले लोग जनता को पार्टी इत्यादि बना के बीच रास्ते मे न छोड दें तो ये पोल मे 96 % जनता कौन है जनता न्युज से ये भी जाननी चाहेगी और ये % का प्रयोग क्या है कल से % स्तर वही का वही रहा क्या जनता भी कम जादा वोट नही कर रही वो केवल वही और वही हा और न का % वाला वोट कर रही है............. सवाल अन्य चैनलो पे दिखाये जाने लोगों की राय मे पार्टी एक भी आदमी इसको सही नही मान रहा है कि अन्ना पार्टी बनाये खुद अन्ना भी कह चुके है कि वो न कही कोई पार्टी या पक्ष बनायेगें अब तो जनता भी जानने लगी है कि अन्ना उम्र दराज के आदमी है और इनको आराम की जरुरत है पार्टी युवा लोगों को बनाने की जरुरत है ये काम रामदेव को ही करना चाहिये वो ही इसके लिये सर्वोक्त्म होगा आगे का रास्ता कौन तय करेगा ............... जनता या सत्ताधारी की चालाकी

03 May 2012

सौ साल के सिनेमा और .... आज

कहते है कि ... जब जब समाज मे जिस नई चीज का विरोध होता है ... आने वाले समय मे समाज उसी का गुलाम हो जाता है ........ सौ साल के सिनेमा ने आज (आर्थिक युग)कुछ किर्तीमान ले लिये हों पर .... कुछ दिनो पहले तक समाजिक उपेक्षा से भी सारोकार होना पड़ा है । लोगों ने इसका विरोध भी किया है औरदेखने वाले खुब कोसे भी जाते थे ..... कुछ यही हाल विदेशी चैनलओ को लेकर हुआ तब mtv आदि को लेकर हाय तौबा हुयी ........ और बही चैनल एक नयी जनरेशन को पागल किये हुये है ..... कुछ भी हो .....जिन फिल्मो ने विपरीत हवाओ मे अपने को ढाल लिया ..... जिन अभिनेता अभिनेत्रीयों ने विपरीत परस्थीतियों मे काम किया ........ उनका लोहा आज भी उतना ही खरा है जितना पहले था ...... लेकिन एक खतरा भी है आज के सिनेमा मे वंशवाद भाई भतिजावाद....... आगया है ... और ये हर उस ...कलाकार को रोकता है जिसका जन्म अभिनय के लिये हुआ है और कही न कही उसे एक दलदल मे भी धकेलता है जिसका कोई मन्जिल नहीं होती ...... सौ साल ....... बाद सिनेमा किस रंग मे रंग रहा है ...... और इसकी कहानियाँ क्या कह रही है एक तरफ़ सिविक्ल का दौर है ..... मतलब कहानियों का टोटा ..... और दुसरी तरफ़ .... बरबरा ... लिओन .. जैसे लोगों को .... बालिबुड मे जडें जमाने के लिये जमीन दी जा रही है ... क्या सतीश कौशिक ... रजनीकांत .. जैसे कलाकार ने जो मुकाम हासिल किया ...उसके लिये शारिरिक सुन्दरता चाहिये... ? जाने भी दो यारों ... की लोकप्रियता क्या कोई तोड नही है और तो और ... महंगी से महगी फ़िल्म वो मिठास नही दे सकती जो जाने भी दो यारो ने दिया..... अतत: -.. रीयल्टी शो को रीयल होना पडे़गा ... और सिनेमा को व्यबसाय से हटकर .. व्यव्हारिक होना पडेगा...... फ़िल्मी भविष्यव्क्ता कुछ भी कहे ...... पर आने वाला समय ... बहुत कुछ कहने वाला है ........

कभी सोचा न था ......... कि आप भी.... मेरे ब्लोग पे होंगे !