17 January 2009

जरा सोचिये कि ...................


जरा सोचिये कि ...................
  • 1,00,000 लाख किसी चुनाव छेत्र के वोट और पड़ने वाले वोटो की संख्या
  • 0,40,000 हज़ार (40 % ) पडे वोट
  • 8,000 जीतने वाला पयेगा क्योकि .....
  • चार बडे दल और निर्द्लीय मिलाकर पाच तो
  • 40,000 / 5 = 8,000
  • सब वोटो में जीतने वाला पयेगा केवल (लगभग ) 8% वोट
  • ( ये 8% लोग होते है सरकारी कर्मचारी + गुन्डे + द्लाल जिन्को सरकार के उस व्यकित् को जीतना होताहै जो कि इन्के अपने काम मे रोडा लगाये और जिससे भ्रष्टाचार को मिले बढाबा ......। )
  • इससे एक बात तय होती है कि जितने वाले को { 100% - 8% = 92%}


  • =92% जनता का अपने छेत्र के नेता पर विस्वास नही है .........

  • दूसरी बात

  • केवल सन्सद मे ही विस्वास मत क्यो !
  • जिनको जनता ने वोट दिया है उन्को भी तो मौका दो ..............
  • मेरा कहने का मतलब है कि ..........
  • party no :1 = 8%
  • party no : 2 = 10%
  • party no : 3 = 5 %
  • party no : 4 =11 %
  • others : 5 = 7 %
  • --------------------
  • total = 40 %
  • ==============
  • जैसा कि मैने उपर कहा है कि ......
  • 40 % वोट मे 11% वाला जितेगा ..............पर 1,00,000 में ..... 50 % से अधीक अनिवार्य हो तो ,
  • party no :1(8%) + party no :5 (7%)+ party no :3(5%) = 20% + या पूरे का 50 % हो तो
  • मिल्कर सरकार बना सकते है
  • इसमे जो पूरे वोटिंग का 51 % जो स्द्स्य को समर्थन मिलेगा वो सरकार में जनता ka प्रेतीनिध होगा
  • मे जयेगा .... that is MLA / MP and others ( chairman etc)कलायेगा !
  • और एक नेता दुसरे नेता कि बुराई को छोड उसकी तारीफ़ कर्ता नज़र आयेगा और........
  • इससे नेताओ का जन्सम्पर्क बढेगा और जनता का फ़ायदा
  • इस प्र्कार तीन दलो के वोट देने वालो का फ़ायदाहोगा 51% से अधीक लोगो के छेत्र मे काम होगा ।
  • कि उन लोगो का जो थोडे से लोग जो अपने फ़ायदे के लिये सरकार बनते है
  • सरकार सब की होनी चाहिये जितने वोट डालने जाये उतनो की तो होनी ही चहिये .......... है कि नहीतो फिर अप्नी राय पोस्ट करे .... धन्य्बाद .... .........
  • आपका
  • अपना अम्बरीष ..............

08 January 2009

बरस.......... बरस...........



बरस..... बरस.....

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बरस.......... बरस...........

बरस बरस कई बरस,
मत तरस केवल बरस,
बरस बरस और बरस,
कई .....बरस,

घटा अभी घटा नहीं,
हट मत घट मत,
सोच जरा,
बेबस धरा पर जरा,
थक मत हट मत,
घटा अभी घटा नहीं,


हर कदम हर कदम,
टूटती आशा निकलते है दम,
पर,
टूट हर दम ........,
बस कर बढ़ चल,
बस एक और कदम,
मन की आश कर निराश,
कामयाब और कामयाब,
बढ चल एक और कदम,

बेसब्र देश भर .....,
कला धन,
अपराधी मन,
पद को कर बदनाम,
न्याय की आश.......,
टूटकर कहती है...,
बस.......!,
बरस बरस इस बरस,
अब बरस..... और बरस..,
बरस बरस इस बरस,
_____________--अम्बरीष मिश्रा
इस सार.... भरी कविता को पहली क्लास का बच्चा भी पढ़ लिख सकता है

इस कविता की फिल्म हो तो ......... देखना है तो {{☻}} click here


कभी सोचा न था ......... कि आप भी.... मेरे ब्लोग पे होंगे !