31 December 2011

पाश्चात संस्कृति के आने वाले नये साल की आप सब को हार्दिक शुभकामनायें

नये साल का आना उत्साह जनक होता है और ये उत्साह को बढाता भी है जब येनया साल अगर पाश्चात संस्कृति का हो तो तामसी प्रबति के लोगो के लिये ये सबसे अच्छा और अतिआवश्यक अंग है । क्यो ?
क्योकि जो भी नये साल मे किया जाता है जो कुछ भी वो हमारी संस्कृति मे नही होता है अगर आप जरा सोचे तो आप को एक तरफ़ भारत मिलेगा और दुसरी तरफ़ इंडिया ये सोच है दो संस्कृतियों की जो एक महानगरों मे रहती है और
दूसरी जो गाँवो मे रहती है
आज जो भारत है (पूरा देश) वो क्या है
भौगोलिक क्षेत्रफल मे (विश्व) - 7 वाँ देश ,
अर्थवयव्स्था मे विश्व का - 4 वाँ देश , (नयी घोषणा के अनुसार तीसरा )
जन्संख्या मे - दूसरा न०
जन्संख्या घनत्व मे - 131 वाँ (लगभग)
प्रतिव्यक्ति आय मे - 129 (लगभग)

मानवीय विकास मे - 134 वाँ


जो संस्कृति गाँव मे रहती है उसे भारत कहते है वो नये साल मे ध्यान नही
देती और वो साल मे अन्य त्यौहार मनाती है उस का तोड पूरे विश्व मे
नही मिलेगा वो है होली और दीपावली । एक तरफ़ रंग ही रंग है और दुसरी तरफ़
रोशनी ही रोशनी और रोशनी से जगमग करता पूरा का पूरा भारत एक ही समय पे
इसी से भारत जुडा हुआ है। इसी मे वो रंग है जो एक व्यक्ति से दूसरे
व्यक्ति सेमिलना आवश्यक माना जाता है और समाजिक खबरों का एक मात्र माधयम है ये
भारतीय पर्वे उत्साह भरे होते है और सामाजिक भी ।

दुसरी ओर है एक सर्द रात और कान फोडू संगीत इस संगीत मे आप कोई बात नही
कर सकते है तो क्या कर सकते है बस बंदरो की तरह हिल सकते है कुद सकते है
और उछल भी सकते है क्योकि सब यही कर रहे होते है इसमे बने पकवान और साथ
मे ली जाने वाली पेय पदार्थ सामग्री तो कितनी घातक होती है कि आप अपने घर
परिवार के बच्चो को नही दे सकते है । और ये संस्कृति है पाश्चात शैली की
जिसका सार केवल और केवल व्यबसाय व्यापार ही होता है कोई भी सिंद्धान्त का
अंत देखिये तो आपको अंत प्रोफ़िट ही दिखेगा और वही अंत है ।

पर एक सवाल है कि समाज है क्या ! पैसा... या आत्मियता .... ..

24 December 2011

पुराना साल अंत पे है और नये साल की तैयारी है ,
बीते साल मे महगाई ने खून के आँसू रुलाये और जनता 100 दिन के दिलासे मे
राह देखती रही कि एक दिन दुख दुर होगा ,
जहाँ जनता सरकार की कमजोरी से परेशान थी वही इस अवसर को तलासते कुछ गाँधी
और बाबा ने सरकार को घेर लिया ,
सरकार के अपने दुख है और इसी दुख से जनता खुश क्योकि अगर आपको परेशान
करने वाला अगर परेशान हो जाये तो
आपका भला न सही आपको प्रसन्नता तो जरुर मिलती है ।

परेशानी मे पुरा विश्व है जहाँ एक साल से अधिक विद्रोह के बाद कुछ
सत्ताये तो हिलायी गयी पर कुछ को उखाड फेकने के लिये
नाटो नाम की संस्था भी साथ आयी पर जब एक ग्राफ़ देखता हुँ जिसमे एक खास
कौम के लोगो का देश के आधार पर तुलनात्मक
अधयय्न करता हूँ तो पाता हूँ कि ये वही देश है जहा पर इस कौम का घनत्व
अधिक है वही ये विद्रोह हो रहे है ये है टुनिसिया , लीबिया,
मिश्र, यमन, और कुछ देश है जो दादाओ की धुरती निगाहों से अपने आपका बजूद
बचा रहे है ये है ईरान ,अफ़गानिस्तान ,पाकिस्तान

ईरान ने एक वो काम कर दिखाया जो शायद विश्व का सबसे बडा हैकर नही कर पाया
जी हा जुलियन असांजे ने केवल कुछ सरकारी केबल
को ही खुलासा किया पर मायाबती के खुलासे मे पहली बार तू तू मै मै दिखाय़ी
दी और इस से खास लोगों का संयम दिखने लगता है ।
इसी खुलासे मे ये बात भी आयी कि जो केवल वाली बात है वो अमेरिकियों
द्वारा दिया गया था । पर ईरान ने क्या किया ये जानते है
ईरान ने अमेरीका के उस ड्रोन को पट्खनी दी जिसने सारी दुनिया को डरा
रक्खा है एक खबर के मुताबिक अमेरिका का ड्रोन जब ईरान के
क्षेत्र मे उड रहा था तो उसको किसी तरह मदद से नीचे उतार लिया गया और फिर
अमेरिका के खिलाफ़ घुसपैठ का मुकदमा भी लिखवा दिया गया ।
पर यदी एसा हुआ है तो क्या आने वाले समय मे मानव रहित विमान जैसे ड्रोन
का भविष्य क्या होगा जब ये कुछ खास उपकरण से हैक किये जा सकेगे।

आई टी क्षेत्र का आका भारत ने कामनवेल्थ गेम की निगरानी के लिये कुछ टोही
विमान ईज्ररायल से लिये थे । वो करोडो के विमान इस लिये बेकार हो गये
क्योकि उनको उडाने के लिये सेटलाईट के सिगन्ल नही मिल रहे थे जो भारत् को
कबर करे ये इजराइल धरती है ईसा मसीह के जन्म की ..और कल इनका जन्म दिन
है
आप सभी को हैप्पी क्रिस्मस ......

23 December 2011

कमेन्ट आज के दिन बाजपाई ब्लॉग

सडक से ससद तक और संसद से सड़क तक का मार्ग का गेट है - चुनाव


ये चुनाव ही तय करता है कि कौन संसद जाये और कौन सड़क पे रहे और इस गेट का चौकीदार है जनता ।
ये चौकीदार देख तो सकता है
पर न बोल सकता है और न ही चल सकता है
न ही इसके पास लाठी है और न ही ये सीटी बजा सकता है ।

जैसे 121 करोड की जनता मे 11 करोड ही सरकार चुनती है और..
110 करोड को गर्व है भारतीय होने पे और नेतओ को चुनकर अपना वोट बेकार नही करना चाहते है
और अनेकता के कारण इधर उधर देखा करते है ।

क्योकि ये 11 करोड ही वोट बैक है क्योकि ये ही सरकार तय करता है तो क्या कोई ऎसा सिस्टम है कि कम से कम पप्पू पास हो जाये 60 नही तो 33 ही सही पर पास हो जाये ।

चौकीदार अगर सही देखने लगा और रोकने और टोकने की ताकत आ गयी तो चोर कभी भी लोकत्रंत के मन्दिर मे जा कर उस के गहने नही चुरा पायेगा ।

कुछ लोग 3 साल से पत्थर (समस्या )रगड रगड के आग पैदा कर रहे थे और कह रहे थे कि ये आग आप की उर्जा के रुप मे काम करेगा ।

अंग्रेजी मे एक कहावत है कि line को बिना छुये छोटी करने के लिये क्या उपाय है । बहुत से लोग जानते है कि अन्ना का आना और कुछ मुद्दे का पीछे होना । क्या एक इतेफाक है , क्या संसद की बढी तारीख और उसके बाद अन्ना का अनसन भी उनही तारीखों तक क्या है ।

खैर आम के पेड गिनने की जरुरत नही बस चौकीदार इतना ज्ञान वाला हो जाये कि वो चीजे <विज्ञापन>समझ ले ,देख ले , जान ले , बोल सके ,

क्योकि संघर्ष अभी बाकी है ...........

तो जाने कि चुनाव आ गया है ,

सब दुकाने सज गयी ,
सब चोर दहाडने लगे ,
हमसे पाक साफ़ कौन छोड कर,
दुसरो को आईने दिखाने लगए ,
तो जाने कि चुनाव आ गया है ,

गाँव गाँव मे जब दौडे गाडी ,
बटती है महिला को साडी ,
जगह जगह बैठे जुगाडी ,
तो जाने कि चुनाव आ गया है ,

जब अध्धा पौया बट जाये
जब गरीब को पीटा जाये
जब गुंड्डो को पुजा जाये
जब मुफ़्त दावते मिल जाये
तो जाने कि चुनाव आ गया है ,


पर क्या सवाल उठाये है
और क्या जबाब पाये है
ये कौन है जो चुनाव लड्ने आये है
और क्यो इतने सगे बन रहे है

क्यो न जाने हम इनकी पोल
क्यो न हम देखे इनका खोल ....... अगली बार ........

आ देखे ज़रा किस्मे है कितना दम

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कभी सोचा न था ......... कि आप भी.... मेरे ब्लोग पे होंगे !