24 June 2011

क्या ! -- बदलोगे तुम

क्या क्या बदलोगे ,
क्या बदलोगे तुम
हिन्दुस्तान में
पकिस्तान में
और अपने नाम में

क्या बदलोगे तुम इस दुनिया में
जब सब बदल गए है
जिन्दा मर गए है
कलेजे गल गए है

क्या बदलोगे तुम
दूध घी मिल्लता नहीं
और खुल गए मैखाने है
तुम्हारे सपने बैमानी
और उनके सपने अफसाने है

क्या बदलोगे तुम
गाव में बच्चे माँ का खून पी जी रहे है
और शहरों में माँ बियर पी जी रही है

क्या बदलोगे तुम
सब कुछ तो बदल गया
इमानदार एक गाली है
फूलो का चोर ही माली है
अमीर देश है ये
और घर घर कंगाली है

और क्या बदलोगे
सभ्यता संस्क्रति या धर्म
कुछ नहीं बदला
बस बदल गयी पहचान
कपडे बदले बोली बदली
और बदले अरमान
घर छूट गया
परिवार टूट गया
सब कह रहे है मतलबी इंसान
और क्या बदलोगे तुम
अपनी या मेरी - पहचान


23 June 2011

एक मुस्कान
एक अहसास
एक दिन
एक रात
एक शब्द
एक रह
एक मंजिल
एक रास्ता
एक रौशनी
एक सुरुआत
एक बाबा
एक राम लीला
एक सरकार
एक रात
एक हाहा कार
एक न्यायलय
एक केस
एक लडाई
एक समझ
एक सबूत
एक बार
एक हार
एक विदेशी
एक देशी
एक स्वदेशी
एक जीत
एक विस्वास
एक बार
बार बार
जीत होगी इस बार

20 June 2011

राज भरा वो ख़त .............

यूँ तो ख़त लिखने का सिलसिला तो बंद हो गया है और अगर ख़त लिखा भी गया है तो प्रेम में नौकरी के लिए कार्यालय के लिए | पहले ख़त लिखा जाता था कैरियत के लिए और आज चाहत के लिए |
लेकिन पिछले दिनों एक चमत कार हुआ एक ख़त के कारण बहुत बड़ा चमत्कार जो काम देश की जनता मिडिया और समाज सेवी ने न किया वो ख़त कर गया | वो ख़त क्या था ...............

दिन 13 जून : अन्ना ने ख़त लिखा सोनिया जी को ..................
दिन २० जून : सोनिया जी ने अन्ना जी को ख़त लिखा .............
दिन २१ जून : अन्ना जी वार्ता में खुश थे कपिल जी भी वार्ता में खुश थे और बारता भी अच्छी हुयी |

येषा क्या था की एक पत्र में की जो जनता का डर नहीं जो किसी का खौफ नहीं वो जो हर बात बात पे खीचा तानी करते थे बात बात पे बैमानी करते थे वो डर गए एक पत्र से जो न डरे पत्रकार से जुटे की बौछार से

क्या था उस पत्र में

18 June 2011

मायाजाल (INTERNET) को धोखा दे !



भाईयो दोस्तो और प्रसशक ,
जैसा कि आज कल हमरी खाश face book के कारन दिन प्रतिदिन हम अप्ने भावनये और तुरन्त प्रतिकिया online के द्वारा भेजते है । और यही हमरी समस्या बन जाती है क्योकि भले हमरी सरकार से इस प्रकार का कोई अन्होनी नही होती है पर कुछ विदेशी इस पर नज़र रख्ते है और वो हमरी हिन्दी को अग्रेजी मे भाषा रुपान्तरण कर आसानी से समझ जाते है
इस के लिये आप मेरा एक कमेट देखे़गे कि किस प्र्कार एक CIA या कोई खुफिया विदेशी विभाग ने हिन्दि के लेख मे मेरे द्वारा दिये गये वचन पर तुरन्त ही प्रतिक्रिया दी । एक विदेशी द्वारा इस प्रकार का वय्व्हार मेरे लिये सच मे सोचने की बात थी तो आपकी खबर ने भी मुझे सम्पर्क किया और जान्ना चाहा या वो कोई और था ।
पर मेरे द्वारा जबाब से वो सन्तुस्ट था ।
ये खबर है 25 aprail 2011 की जिस्मे ये बात हुयी है , जरा सोचिये कि ये कित्ना घातक है हमरे लिये कि हमारी भाव्नाओ को कोई पड रहा है और बाद मे वो व्यापार करेगा और हमरी मेहनत को दिमा़ग के बल पर ले जयेगा ।
ये खबर क्यो जरुरी है और इस से कैसे बचे
आप अपने लेख मे कुछ खास नाम , काम , या क्रिया को सीधे न लिख कर उसे भ्रमित भाषा मे लिखे ये समझ्ने योग्य हो क्योकि मशीने इत्ना दिमाग नही रख्ती है कि वो समस्या का समाधान कर सके
ये कैसे कर्ना है अगर मै ये कहु कि मन्मोहन ने दिलली मे ओबामा से मिले तो अगर मै कोइ शब्द बद्ल दु तो उस्को सुधारा जा सक्ता है पर यदि मै हर सब्द को हि पर्वर्तित कर दुन और उस्का आसय सम्झा दुन तो ये उत्तम रहे़गा ।
कहा जाता है कि जब महान ज्योतिश नास्त्रे दमस की सीधी भविश्य्वानी पर रोक लगा दी तो उस्ने कविताऒ के मधय्म से बात कहना सुरु किया इस पर्कार ही हम लोग भी कर सक्ते है और अपने सम्बादो को सुरछित कर सक्ते है
जैसे हन्होहन ने हिल्ली मे होवामा से मिले इस्मे कोइ कम्पुटर नहि सम्झ सक्ता और ना हि कोइ और इस्का तोड जल्दि जल्दि निकाल सक्ता है
तो आगे से आप मेरे कमेट पर परेशान नहि होन्गे

कभी सोचा न था ......... कि आप भी.... मेरे ब्लोग पे होंगे !