31 December 2011

पाश्चात संस्कृति के आने वाले नये साल की आप सब को हार्दिक शुभकामनायें

नये साल का आना उत्साह जनक होता है और ये उत्साह को बढाता भी है जब येनया साल अगर पाश्चात संस्कृति का हो तो तामसी प्रबति के लोगो के लिये ये सबसे अच्छा और अतिआवश्यक अंग है । क्यो ?
क्योकि जो भी नये साल मे किया जाता है जो कुछ भी वो हमारी संस्कृति मे नही होता है अगर आप जरा सोचे तो आप को एक तरफ़ भारत मिलेगा और दुसरी तरफ़ इंडिया ये सोच है दो संस्कृतियों की जो एक महानगरों मे रहती है और
दूसरी जो गाँवो मे रहती है
आज जो भारत है (पूरा देश) वो क्या है
भौगोलिक क्षेत्रफल मे (विश्व) - 7 वाँ देश ,
अर्थवयव्स्था मे विश्व का - 4 वाँ देश , (नयी घोषणा के अनुसार तीसरा )
जन्संख्या मे - दूसरा न०
जन्संख्या घनत्व मे - 131 वाँ (लगभग)
प्रतिव्यक्ति आय मे - 129 (लगभग)

मानवीय विकास मे - 134 वाँ


जो संस्कृति गाँव मे रहती है उसे भारत कहते है वो नये साल मे ध्यान नही
देती और वो साल मे अन्य त्यौहार मनाती है उस का तोड पूरे विश्व मे
नही मिलेगा वो है होली और दीपावली । एक तरफ़ रंग ही रंग है और दुसरी तरफ़
रोशनी ही रोशनी और रोशनी से जगमग करता पूरा का पूरा भारत एक ही समय पे
इसी से भारत जुडा हुआ है। इसी मे वो रंग है जो एक व्यक्ति से दूसरे
व्यक्ति सेमिलना आवश्यक माना जाता है और समाजिक खबरों का एक मात्र माधयम है ये
भारतीय पर्वे उत्साह भरे होते है और सामाजिक भी ।

दुसरी ओर है एक सर्द रात और कान फोडू संगीत इस संगीत मे आप कोई बात नही
कर सकते है तो क्या कर सकते है बस बंदरो की तरह हिल सकते है कुद सकते है
और उछल भी सकते है क्योकि सब यही कर रहे होते है इसमे बने पकवान और साथ
मे ली जाने वाली पेय पदार्थ सामग्री तो कितनी घातक होती है कि आप अपने घर
परिवार के बच्चो को नही दे सकते है । और ये संस्कृति है पाश्चात शैली की
जिसका सार केवल और केवल व्यबसाय व्यापार ही होता है कोई भी सिंद्धान्त का
अंत देखिये तो आपको अंत प्रोफ़िट ही दिखेगा और वही अंत है ।

पर एक सवाल है कि समाज है क्या ! पैसा... या आत्मियता .... ..

24 December 2011

पुराना साल अंत पे है और नये साल की तैयारी है ,
बीते साल मे महगाई ने खून के आँसू रुलाये और जनता 100 दिन के दिलासे मे
राह देखती रही कि एक दिन दुख दुर होगा ,
जहाँ जनता सरकार की कमजोरी से परेशान थी वही इस अवसर को तलासते कुछ गाँधी
और बाबा ने सरकार को घेर लिया ,
सरकार के अपने दुख है और इसी दुख से जनता खुश क्योकि अगर आपको परेशान
करने वाला अगर परेशान हो जाये तो
आपका भला न सही आपको प्रसन्नता तो जरुर मिलती है ।

परेशानी मे पुरा विश्व है जहाँ एक साल से अधिक विद्रोह के बाद कुछ
सत्ताये तो हिलायी गयी पर कुछ को उखाड फेकने के लिये
नाटो नाम की संस्था भी साथ आयी पर जब एक ग्राफ़ देखता हुँ जिसमे एक खास
कौम के लोगो का देश के आधार पर तुलनात्मक
अधयय्न करता हूँ तो पाता हूँ कि ये वही देश है जहा पर इस कौम का घनत्व
अधिक है वही ये विद्रोह हो रहे है ये है टुनिसिया , लीबिया,
मिश्र, यमन, और कुछ देश है जो दादाओ की धुरती निगाहों से अपने आपका बजूद
बचा रहे है ये है ईरान ,अफ़गानिस्तान ,पाकिस्तान

ईरान ने एक वो काम कर दिखाया जो शायद विश्व का सबसे बडा हैकर नही कर पाया
जी हा जुलियन असांजे ने केवल कुछ सरकारी केबल
को ही खुलासा किया पर मायाबती के खुलासे मे पहली बार तू तू मै मै दिखाय़ी
दी और इस से खास लोगों का संयम दिखने लगता है ।
इसी खुलासे मे ये बात भी आयी कि जो केवल वाली बात है वो अमेरिकियों
द्वारा दिया गया था । पर ईरान ने क्या किया ये जानते है
ईरान ने अमेरीका के उस ड्रोन को पट्खनी दी जिसने सारी दुनिया को डरा
रक्खा है एक खबर के मुताबिक अमेरिका का ड्रोन जब ईरान के
क्षेत्र मे उड रहा था तो उसको किसी तरह मदद से नीचे उतार लिया गया और फिर
अमेरिका के खिलाफ़ घुसपैठ का मुकदमा भी लिखवा दिया गया ।
पर यदी एसा हुआ है तो क्या आने वाले समय मे मानव रहित विमान जैसे ड्रोन
का भविष्य क्या होगा जब ये कुछ खास उपकरण से हैक किये जा सकेगे।

आई टी क्षेत्र का आका भारत ने कामनवेल्थ गेम की निगरानी के लिये कुछ टोही
विमान ईज्ररायल से लिये थे । वो करोडो के विमान इस लिये बेकार हो गये
क्योकि उनको उडाने के लिये सेटलाईट के सिगन्ल नही मिल रहे थे जो भारत् को
कबर करे ये इजराइल धरती है ईसा मसीह के जन्म की ..और कल इनका जन्म दिन
है
आप सभी को हैप्पी क्रिस्मस ......

23 December 2011

कमेन्ट आज के दिन बाजपाई ब्लॉग

सडक से ससद तक और संसद से सड़क तक का मार्ग का गेट है - चुनाव


ये चुनाव ही तय करता है कि कौन संसद जाये और कौन सड़क पे रहे और इस गेट का चौकीदार है जनता ।
ये चौकीदार देख तो सकता है
पर न बोल सकता है और न ही चल सकता है
न ही इसके पास लाठी है और न ही ये सीटी बजा सकता है ।

जैसे 121 करोड की जनता मे 11 करोड ही सरकार चुनती है और..
110 करोड को गर्व है भारतीय होने पे और नेतओ को चुनकर अपना वोट बेकार नही करना चाहते है
और अनेकता के कारण इधर उधर देखा करते है ।

क्योकि ये 11 करोड ही वोट बैक है क्योकि ये ही सरकार तय करता है तो क्या कोई ऎसा सिस्टम है कि कम से कम पप्पू पास हो जाये 60 नही तो 33 ही सही पर पास हो जाये ।

चौकीदार अगर सही देखने लगा और रोकने और टोकने की ताकत आ गयी तो चोर कभी भी लोकत्रंत के मन्दिर मे जा कर उस के गहने नही चुरा पायेगा ।

कुछ लोग 3 साल से पत्थर (समस्या )रगड रगड के आग पैदा कर रहे थे और कह रहे थे कि ये आग आप की उर्जा के रुप मे काम करेगा ।

अंग्रेजी मे एक कहावत है कि line को बिना छुये छोटी करने के लिये क्या उपाय है । बहुत से लोग जानते है कि अन्ना का आना और कुछ मुद्दे का पीछे होना । क्या एक इतेफाक है , क्या संसद की बढी तारीख और उसके बाद अन्ना का अनसन भी उनही तारीखों तक क्या है ।

खैर आम के पेड गिनने की जरुरत नही बस चौकीदार इतना ज्ञान वाला हो जाये कि वो चीजे <विज्ञापन>समझ ले ,देख ले , जान ले , बोल सके ,

क्योकि संघर्ष अभी बाकी है ...........

तो जाने कि चुनाव आ गया है ,

सब दुकाने सज गयी ,
सब चोर दहाडने लगे ,
हमसे पाक साफ़ कौन छोड कर,
दुसरो को आईने दिखाने लगए ,
तो जाने कि चुनाव आ गया है ,

गाँव गाँव मे जब दौडे गाडी ,
बटती है महिला को साडी ,
जगह जगह बैठे जुगाडी ,
तो जाने कि चुनाव आ गया है ,

जब अध्धा पौया बट जाये
जब गरीब को पीटा जाये
जब गुंड्डो को पुजा जाये
जब मुफ़्त दावते मिल जाये
तो जाने कि चुनाव आ गया है ,


पर क्या सवाल उठाये है
और क्या जबाब पाये है
ये कौन है जो चुनाव लड्ने आये है
और क्यो इतने सगे बन रहे है

क्यो न जाने हम इनकी पोल
क्यो न हम देखे इनका खोल ....... अगली बार ........

आ देखे ज़रा किस्मे है कितना दम

http://www.blogger.com/comment.g?blogID=8237661391245852817&postID=2204687205621783006

27 October 2011

मेरी एक दुनिया है जिसके किरदार इस दुनिया से मिलते है और ये दुनिया बिल्कुल ही अलग है बिल्कुल ही अलग
कुछ सवाल है मेरी दुनिया के आप बताईये कि क्या सही है ?
1- उत्तर प्रदेश मे एक पर्टी के नेता के बेटे ने साईकिल चलाते हुये कहा कि अगर सत्ता मे आउन्गा तो सारी मुर्तीया पर बुल्दोजर चलवा दुन्गा ।

-- : -- चलवा दिजियेगा सहाव , पर ये बात तो आप के पिता जि भी बोले थे और जब बाप कुछ नहि कर पाया तो क्या बेटा कर पायेगा ।

----:--- येशा तो उस मुर्ती वाली माता ( उमर के कारण) ने भी काहा था कि एक विशेश पार्क पर बुल्डोजर चलवायेगी पर पता नही सत्तता मे आकर न जाने वो वात भूल गय़ी ।

---:---- वैसे ये पैसा पवलिक का है और ये घाटा भी पवलिक का ही होगा । और इस घाटा की भरपाई तो केवल महन्गाई से जनता नही कुछ वोल पा रही है वर्ना ..............

11 August 2011

हम गुलाम है तो
वो आजाद क्यो है ? - अन्ना टीम

हम गुलाम है तो
हम गुलाम क्यो है ? - रामदेव

15 अगस्त को 1947 हम

15 अगस्त से PM ,SC , HC 1.5 करोड सरकारी नौकर को गुलाम बनाने की तैयारी

राष्ट्रपति (राष्ट्र) कब गुलाम होगा ?

08 July 2011

ब्लॉग से हिंदी हो गयी लापता चमत्कार हो गया
हिंदी भाषियों पे जैसे अत्याचार हो गया
हो गया राम लीला पे राम देव जैसा हाल
गूगल हो गयी कपिल ब्लोगेर हुए बेहाल
--
अम्बरीष मिश्रा

24 June 2011

क्या ! -- बदलोगे तुम

क्या क्या बदलोगे ,
क्या बदलोगे तुम
हिन्दुस्तान में
पकिस्तान में
और अपने नाम में

क्या बदलोगे तुम इस दुनिया में
जब सब बदल गए है
जिन्दा मर गए है
कलेजे गल गए है

क्या बदलोगे तुम
दूध घी मिल्लता नहीं
और खुल गए मैखाने है
तुम्हारे सपने बैमानी
और उनके सपने अफसाने है

क्या बदलोगे तुम
गाव में बच्चे माँ का खून पी जी रहे है
और शहरों में माँ बियर पी जी रही है

क्या बदलोगे तुम
सब कुछ तो बदल गया
इमानदार एक गाली है
फूलो का चोर ही माली है
अमीर देश है ये
और घर घर कंगाली है

और क्या बदलोगे
सभ्यता संस्क्रति या धर्म
कुछ नहीं बदला
बस बदल गयी पहचान
कपडे बदले बोली बदली
और बदले अरमान
घर छूट गया
परिवार टूट गया
सब कह रहे है मतलबी इंसान
और क्या बदलोगे तुम
अपनी या मेरी - पहचान


23 June 2011

एक मुस्कान
एक अहसास
एक दिन
एक रात
एक शब्द
एक रह
एक मंजिल
एक रास्ता
एक रौशनी
एक सुरुआत
एक बाबा
एक राम लीला
एक सरकार
एक रात
एक हाहा कार
एक न्यायलय
एक केस
एक लडाई
एक समझ
एक सबूत
एक बार
एक हार
एक विदेशी
एक देशी
एक स्वदेशी
एक जीत
एक विस्वास
एक बार
बार बार
जीत होगी इस बार

20 June 2011

राज भरा वो ख़त .............

यूँ तो ख़त लिखने का सिलसिला तो बंद हो गया है और अगर ख़त लिखा भी गया है तो प्रेम में नौकरी के लिए कार्यालय के लिए | पहले ख़त लिखा जाता था कैरियत के लिए और आज चाहत के लिए |
लेकिन पिछले दिनों एक चमत कार हुआ एक ख़त के कारण बहुत बड़ा चमत्कार जो काम देश की जनता मिडिया और समाज सेवी ने न किया वो ख़त कर गया | वो ख़त क्या था ...............

दिन 13 जून : अन्ना ने ख़त लिखा सोनिया जी को ..................
दिन २० जून : सोनिया जी ने अन्ना जी को ख़त लिखा .............
दिन २१ जून : अन्ना जी वार्ता में खुश थे कपिल जी भी वार्ता में खुश थे और बारता भी अच्छी हुयी |

येषा क्या था की एक पत्र में की जो जनता का डर नहीं जो किसी का खौफ नहीं वो जो हर बात बात पे खीचा तानी करते थे बात बात पे बैमानी करते थे वो डर गए एक पत्र से जो न डरे पत्रकार से जुटे की बौछार से

क्या था उस पत्र में

18 June 2011

मायाजाल (INTERNET) को धोखा दे !



भाईयो दोस्तो और प्रसशक ,
जैसा कि आज कल हमरी खाश face book के कारन दिन प्रतिदिन हम अप्ने भावनये और तुरन्त प्रतिकिया online के द्वारा भेजते है । और यही हमरी समस्या बन जाती है क्योकि भले हमरी सरकार से इस प्रकार का कोई अन्होनी नही होती है पर कुछ विदेशी इस पर नज़र रख्ते है और वो हमरी हिन्दी को अग्रेजी मे भाषा रुपान्तरण कर आसानी से समझ जाते है
इस के लिये आप मेरा एक कमेट देखे़गे कि किस प्र्कार एक CIA या कोई खुफिया विदेशी विभाग ने हिन्दि के लेख मे मेरे द्वारा दिये गये वचन पर तुरन्त ही प्रतिक्रिया दी । एक विदेशी द्वारा इस प्रकार का वय्व्हार मेरे लिये सच मे सोचने की बात थी तो आपकी खबर ने भी मुझे सम्पर्क किया और जान्ना चाहा या वो कोई और था ।
पर मेरे द्वारा जबाब से वो सन्तुस्ट था ।
ये खबर है 25 aprail 2011 की जिस्मे ये बात हुयी है , जरा सोचिये कि ये कित्ना घातक है हमरे लिये कि हमारी भाव्नाओ को कोई पड रहा है और बाद मे वो व्यापार करेगा और हमरी मेहनत को दिमा़ग के बल पर ले जयेगा ।
ये खबर क्यो जरुरी है और इस से कैसे बचे
आप अपने लेख मे कुछ खास नाम , काम , या क्रिया को सीधे न लिख कर उसे भ्रमित भाषा मे लिखे ये समझ्ने योग्य हो क्योकि मशीने इत्ना दिमाग नही रख्ती है कि वो समस्या का समाधान कर सके
ये कैसे कर्ना है अगर मै ये कहु कि मन्मोहन ने दिलली मे ओबामा से मिले तो अगर मै कोइ शब्द बद्ल दु तो उस्को सुधारा जा सक्ता है पर यदि मै हर सब्द को हि पर्वर्तित कर दुन और उस्का आसय सम्झा दुन तो ये उत्तम रहे़गा ।
कहा जाता है कि जब महान ज्योतिश नास्त्रे दमस की सीधी भविश्य्वानी पर रोक लगा दी तो उस्ने कविताऒ के मधय्म से बात कहना सुरु किया इस पर्कार ही हम लोग भी कर सक्ते है और अपने सम्बादो को सुरछित कर सक्ते है
जैसे हन्होहन ने हिल्ली मे होवामा से मिले इस्मे कोइ कम्पुटर नहि सम्झ सक्ता और ना हि कोइ और इस्का तोड जल्दि जल्दि निकाल सक्ता है
तो आगे से आप मेरे कमेट पर परेशान नहि होन्गे

17 May 2011

Re: kavita

ममता की जीत ने एक नया रंग लाया
वेचेन राहुल ने  नया तीर पाया
नया जोश भर कर खेली  नयी चाल
मनमोहन से बोले तू  राजा भोज मै गंगू तेली
मैं गंगू तेली बात मेरी मान
 ये किसान ही है राजनेताओ का भगवान
 भगवान जो एक हो जाये
सरकार गिराएगा हमें जितायेगा
सुनो जरा धयान से बंगाल में हुआ कमाल
टाटा ने किया अधिग्रहण उस पर फैला ममता माया जाल
लड़की का हुआ बलात्कार और दिया मार
ये आग फैलाई यह सुन मेधा समेत कई समाज सेवी आये
हाय तौबा से टाटा को दिया  भागा 
उसी चिंगारी को सुलगा सुलगा कर
आग जलाई लाल झंडे  को दी बंगाल से विदाई
चिंगारी से आग बनाई
आज उसी आग पर रोटिया सेक खाई
आने वाले चुनाव के लिए ये मुद्दा मलाई

हम इस मुद्दे को उठायेगे
और ममता के तरह राज पायेगे



01 May 2011

बाबा का सच क्या है ..............................


मैं जब बचपन में बाबा या नारिगी रंग में रंगे परिधान में देखता तो हसी आती थी और बड़ा हुआ तो पाया की बच्चो को इंसानी रूप में दो ही चीज़ से डराया जाता था एक पुलिस और दूसरा बाबा ! और सायद ये हर गाव से लेकर हर सहर में येशा ही होता था जरा सोचने की बात है की समय के साथ पुलिस की जरुरत के कारण उनका डर कम हो जाता है पर बाबा का डर और नफरत कायम रहती थी एषा बात चीत के बाद पता चला की कुछ अलग अलग समुदाय के मेरे मित्रो में भी यही बात का समर्थन किया और कुछ लोग का मन आज भी बाबाओ को पाखंडी मानता है जब की किसी भी बाबा ने उनका अहित नहीं किया और न ही उनके करीब में कोई इस पारकर की खबर मिली हां कुछ खबर जो मिली वो समाचार के मध्यम से मिली की किसी baaba ने गलत किया तो इस प्रकार की खबर तो आती ही है कि कोई पुलिश बाला कोई नेता या कोई अफसर भी इस्परकर के कामो में लिप्त पाया गया या कोई बहरूपिया इस पारकर के कामो में पाया गया तो इसमें बाबा को क्यों बदनाम किया जाता है क्या ये किसी साजिस का हिस्सा है कि या कोई नाराजगी जो बहुत समय से जाने अनजाने में हमने ही अपने लोगों को नहीं समझा पाए

एक बचपन में स्कूल में एक pome सिखाई जाती थी
बाबा बाबा ब्लैक शीप ..........
और मैंने अकसर बच्चो को बाबाओ के ऊपर ये कमेन्ट करते सुना है की उनको बाबा दीखता है और वो बाबा बाबा ब्लैक शीप का गीत गाने लगते है
एक सवाल मन में उठता है आज क्या अंग्रेजी मध्यम की शिक्षा में कविताओ की कमी थी या कुछ कविताओ में संस्क्रती का मज़ाक था इसको विरोध भाष के आधार पे रोका भी जा सकता था

गाँधी को बाबा नहीं महात्मा कहा गया और बापू कहा गया पर केवल कपडे का रंग छोड़ के दोनों का पहनावा एक ही था वो महात्मा गाँधी जिसने विदेश में बकालत पड़ी और देश में है त सूत बूट और बिलकुल अंग्रेगी परिधान और उनका सही पहनावा के साथ पहने थे नव्युबक थे और वकालत पढ़े भी भारत से अफिरिका तक बकालत का रुतवा दिखा चुके थे
पर गाँधी जल्द ही जान गए की ये कानून भलाई नहीं लूटने के लिए है ये वो तरीका है जिसमे वक्ती खुद को नहीं समय को ढोस देता है ये तो जुए की तरह है जो जनता है वो जीतता है जो नहीं जनता है वो भाग्य को कचोटता है पर इसको ज्ञान नहीं मानता है क्योकि वो vidhya को chamatkaar मानता है
whi गाँधी देश में देश वाशियो के मन में गाँधी के पार्टी श्रधा नहीं दिखती उससे अधिक तो भारत देश के गाँधी परिवार और कुछ औधोगिक घराने और कुछ अभिनेताओ एवं नायिकाओ तक ही सिमित कर रह जाता है इसा लगता है की जो हमने ये अपना टीवी ख़रीदा है वो इनकी कहिरियत के लिए करीदा है और इनका तराना देखने के लिए ये दिश या दी टी एच ख़रीदा है
गाँधी को आदर्श माँ कर एक मुन्ना भाई की फिल्म हित होती है और गंध को ही आदर्श माँ कर अन्ना का आन्दोलन एक अविसनिय रूप में आता है
पर एक किताब है गांधी की "मेरे सपनो का भारत " india on my dreams जो की किताब हिंदी में बहुत कम छापी है अगर आप को मिल जाये तो आपने आप को महान कहिये गा 30-४० रु की किताब है ये पर मिलना इतना मुस्किल की क्या बताया जाये हिंदी में क्योकि इस किताब के मध्यम से लोग गाँधी को समझ जाते और आज के गाँधी को भी

इस पारकर के वतान्वरण में गाँधी बाबा और धर्म में विस्वाश रखना और उसपर लोगों के चश्मे को कहना और अग्यानी लोगो का विपछ में बैठना और गायनी का खामोश होना सारी संभावनाओ को विराम लगा देता है की ये बंजर है और इसमें न खेती होगी न पानी आएगा
सभ्यता इस्परकर की की हम अपनी सभ्यता को गली दे और हम से अच्छा कोई और नहीं मतलब जिस धर्म में है उसी को हम लोग काट ने को तैयार है पर अपमान में जीकर भी कुछ लोग धर्म का मान रखते हुए देखा है मैंने

07 April 2011

पर डॉ की मौत को रोका जा सकता था .....

आज की खबर पूरे दिन गुमटी रहती है अन्ना हजारे और उनके कैम्पेन की बीच साम होते होते यू पी में दो मंत्रियों ने इस्तीफ़ा दे दिया एक CMO की मौत पे कहाँ जाता है मिडिया में की ये हत्या एक सुनियोजित थी और इसमें उनकी इमानदार छवि ने उनको मौत के घाट उतार दिया ये दो मंत्री है अन्नत मिश्र 'अट्टू ' और बाबू कुशवाहा
आज एक चीफ डॉ की मौत से ये हुआ की ये मंत्री साहब को इस्तीफ़ा देना पडा हो सकता है की कल क़त्ल में इनका नाम भी घसीटा जाये हो सकता है और हो सकता है
कुछ दिनों पहले कानपुर में एक वकील साहब ने अपनी वेगम के लिए एक तबादले के लिए मिडिया द्वारा बताया गया की कुछ रु देने के बाद भी तबदिला नहीं हुआ और उनके पैसे भी गए तो वकील साहब ने इस बात से तंग आकर अपने आप को इस बय्बस्था के आगे मौत को गले लगा लिए और ख़ुदकुशी के लिए इन्ही मंत्री को दोषी ठहरा दिया था पर पुलिस ने घर पे दवाव बना कर केश न करने के बारे में घर वालो से लिखवा लिया
http://www.expressindia.com/latest-news/kanpur-lawyers-suicide-wife-blows-holes-in-official-line/740418/
और आज एक डॉ की मौत होने पे इन्हीं मंत्री को इस्तीफ़ा देना पड़ा ये जान बच जाती अगर नेता जी के खिलाफ कुछ वकील और समाज सेवक और हमारा डॉ वर्ग जुड़ जाता पर जो कुछ हुआ उससे हमें क्या ये वाक्य कही न कही हमारे अन्दर खुमता रहता है और ये ही हमें कमज़ोर बनता है

प्रशिद्ध लेखक श्री शिव खेडा कहते है की अगर आप के पडोशी पे जुल्म हो और आप शांत रहे तो अगला नो आप का है


अब बात अन्ना हजारे की जो आज भी जंतर मंतर पे पूरे ६० घंटे से निरंतर उपवास कर रहे है और भगवन से दुआ कर रहे है की भगवान सरकार को सदबुधि दे और सरकार जन लोक पाल बिल लागू करे

पर किन्तु परन्तु एक बहुत बड़ा छेद है एक बहुत बड़ा छेद है एक लोक पाल बिल me अन्ना किरण अरविन्द और भी कई देश चिंतन धरियो के लिए ये बिल किस पारकर से एक नया अन्दोलम फिर से लेगा ये देखना होगा इस बार का आन्दोलन लगभग दस साल के बाद होगा और इस बार की तरह अगली बार दो फाड़ होंगे एक विदिशी कम्पनियों का और दूसरा आम जनता का सरकार तराजू के साथ होगी जिधर भर अधिक होगा उधर उसका झुकाव होगा

अन्ना की जित के साथ ही लिखूंगा एक और लडाई अभी बाकी है


अम्बरीष मिश्रा

05 April 2011

मेरा क्रिकेट महान !

भारतीय क्रिकेट ने एक विश्व कप आपने नाम कर लिया |
जिसमे कई लोगों ने रात्रि में उसी समय अत्यधिक उत्साहित होकर आनन फानन में कियो करोड़ों के पटाखे जलादिये कइयो लोगो ने एक पल में देश से प्यार दिखाते हुए रात्रि में दिवाली का दूसरा मंज़र देखा दिया |

दिल्ली मुमबई और भी देशके कई महानगरो में सडको पर निकल कर खूब जोर शोर से प्रदर्शन किया गया | जिसमे भारत की सर्व ससक्त महिला श्रीमति/ वि सोनिया गांघी महानायक अमिताभ बच्चन और उनके पुत्र अभिषेक इतादी ने तिरंगे में आपने आप को छुपा लिया और खुद को देश प्रेम की खुशी के रग मे जस्न मनया ।
शाहरुख और कई नायको ने आपना अपना देश प्रेम दिखाया और थोड़ी ही देर बाद रस्त्पति और परधन मंत्रीइतादी ने बधाई के सन्देश जनता को दिए टी वी व समाचारों के मध्यम से

दूसरा दिन
: पूरे देश के मुख्यामंतियो ने आनन् फानन में हर खिदडियो को ( जो उनके परदेश के थे अधिकतर ) को सामान और विजेता राशी देने की बात कही | पर यहाँ पे वे लोग नहीं दिखाई देते है जो विपछ के होते है वे इन खिलाडियो को एक पैसे का भी पुरूस्कार नहीं देना चाहते है .......... क्यों ?
क्यों नहीं आती है देश की वे पार्टियां जिन्हें देश भक्त का गौरब प्राप्त है और इसी कारण देश के उन्ही लोगों ने देश के सर्वोच्छ पदों पर वैथाया है |

मतलब की ये पैसा जनता का जो की कई करो को लगाकर लिया जाता है और वही पैसा साकार में बैठे बन्दे बिभाग के मध्यम से बाता जाता है वो चाहें कोई मुख्य मंत्री हो या कोई मंत्री और या कोई विभाग एक सीधा सा सवाल .......................
" जनता ने अपने पैसे से खुद खुशियाँ मना ली और जन पर्तिनिधि के रूप ने बैठे लोगो ने भी जनता के द्वारा दिया गया धन भी क्रिकेटर को दे दिया जबकि उनको लाखो करोडो के सैकड़ो विगापन मिल जाते है व् अन्य कमाई अलग से "
किसी रास्ट्रीय पार्टी ने अपनी और से कोई नकद पुरस्कार नहीं दिया और आते आते ये खबर भी आ गयी जो डेमो कप था (शायद ) उसी को उठा कर दे दिया गया असली तो कस्टम के पास ही है
अगर आज इस बात को कोई मान ले की येषा है तो ये बहुत बड़ी बात हो जायेगी सरकार के लिए पहले भी बहुत घोटाले का कलंक है पर ये कलंक सही नहीं है
कौन महान देश या किर्केट ?
देश में क्रिकेट एक नशा हो चूका है एक नशा जो टी वी और रेडिओ के मध्यम से लिए जाता है और आने वाले कई दिनों तक रेल बस में उसकी बाते होती है जब मैच होता है तो सहर में कार्फू लग जाता है ऑफिस से लेकर बाजारों में काम समझो थाप सब बन हो जाता है |
कहा जाता है की icc का ऑफिस दुवाई में है और देश का एक डॉन भी अपनी कंपनी वही से चलता है ये मैं नहीं श्री पुन्य पर्सून बाजपाई जी कहते है | वो भी जी टीवी पे रात दस बजे ये बात समझ ने की है सोचने की है |

दूसरी ओर अन्ना हजारे ने देश में एक क़ानून की जंग को लड़ रहे है एक कानून जो जनता के बीच आने के लिए तराश रहा है उस क़ानून का मुह दवाए हुए नेता लगभग पाचश साल से उसका शोषण कर रहे है |

देखे की जनता के आँखों के तारे ये प्यारे नेता क्या जनता के दुखो को कम करने वाला कानून लाने को तैयार है |

और एक बार ये सोचना होगा की वर्ल्ड कप के जितने के बाद भारत का क्रिकेट में दूसरा स्थान है और खेल महाकुम्भ में (ओलंपिक) जगत में भारत की बात करना एक सपना है और दूसरो देशो के लिए सर दर्द और इस महा कुम्भ में वही देश अवल है जो आज महा ताकत है |
क्रिकेट की ताकत एक मज़ाक है देश की गरिमा और अर्थबयबस्था और गरीबी के बारे में कौन शोचेगा और कब
ये क़ानून बनने के बाद लागू करना और लागू करने के बाद एक काम होगा की राज्यों का भ्रस्ताचार कम हो जायेगा पर देश के पार होने वाला भ्रस्टाचार को कैसे khatam karenge ?

अम्बरीष मिश्रा

20 March 2011

internet ka pahla aghat

मेरा इन्टरनेट के माया जाल में आना एक दोस्त शैलेन्द्र sahu के मध्यम से हुआ ,
ये वक्त था सं 2002 जब मैंने पहल बार कंप्यूटर व इन्टरनेट को समझ ने की कोशिश की
पहली हिंदी वेब साईंत थी वेब दुनिया जिसको मैं पढ़ कर उत्साहित हुआ था कोयोंकी कोई भी चीज़ अगर
मात्र भाषा में हो तो वाह सबसे अधिक समय तक याद रहती है और कम समय में समझ में आ जाती है.
इसी करण अमेरिका जापान रुष जैसे देश कि हम चापलूशी करते  क्योकि वे अपनी हर काम को मात्र भाषा में करते है

पहली बार सोसल नेट्वोर्किंग साईट को मैंने कानपुर में देख और अपना पहला social networking a /c   को face book पे ही
बनाया पर उस समय ऑरकुट अधिक पीला था इस करण मुझे उस पर सुभिधा हुयी और ये हुआ सन 2007  में लास्ट तक मैं ऑरकुट पे भी था |
समय के साथ और तरकी  हुयी और सन 2008  के अंत में दिसम्बर में मुझे अपने घर पे नेट का पूरे दिन वाला कन्क्तिओन उपलभ हो गया था
brodband नहीं था उस समय |

ऑरकुट जीमेल और कई वेबसाइट को देखा इसके saath कुछ नेट के सॉफ्टवेर भी देखे पर वो पूरी तरह से समझ से बहार थे
थोडा बहुत काम चलाऊ नेट चलाना आ गया

समय के साथ ऑरकुट पर समस्या आने के बाद फिर से face book पर आना हुआ और ये आना और इस पर श्री अलोक तोमर जी से मिलना
सौभाग्य ही था उनके लेख ने मुझे परभाबित किया और बहुत हद तक मैं  facebook पे इसलिए ही देखता था कि कोई सनसनी खेज अलोक तोमर जी का लेख है या नहीं |
पिछली बार उन्होंने कह था कि कैंसर  सही  हो रहा है और जल्द ही वो कैंसर को मात दे देंगे
पर ये खबर बहुत ही चौकाने वाली है और अफसोस जनक है कि आज हमारे बीच एक महान लेखक नहीं रहा है
ये भगवान् को दोष देखर हम कुछ सच्चाई से मुह नहीं मोड़ सकते है कैंसर हमरी सरकार और कुछ विदेशीयो के कारण
कोई न कोई कैंसर से गरशित है और हम फिर खामोस   हो जायेंगे और ये ख़ामोशी उन चोरो को मौका देगी जो कैंसर के मध्यम से हमारा धन लूट लेते है और बदले में जल्द ही मौत देते है और हम उन समीकरण को ही जानते रहते है और वे हमें ही निवाला बनाते रहते है
वो चाहे ओक्टोसिं हो
वो कुछ kitnasak जो कि अमेरिका में बंद है पर yaahan बेचने का लाइसेंस है |
कुछ दवा  डिस्प्रिन इत्यादी शीधे हरदे और किडनी और कैंसर को दवात detee है अमेरिका में नहीं है पर
bharat में biktee है viks अमेरिका में नहीं है पर bharat में है
kyo ?
पर सवाल का समाधान नहीं है
कोयोकी वो स्लो पोग्जन के तरह हमें दिया जाता है और इलाज के नाम पे हमें खरीद लिए जाता है .|

मैं जाग चूका हूँ और आप कि partichha कर रहा हूँ





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अम्बरीष मिश्रा
मद मस्त इस तौहार में ,
न जीत में न हार में
केवल रंग हो प्यार के
पिचकारी के बौछार से
गुलाल से न लाल हो
...हरा से न हलाल हो
होली के रंगों से भरा ये साल हो

जो न खेले रंग उसे मलाल हो

आप को अम्बरीष की ओर से होली कि
विशेष रंग  भरी कविता से - होली की  मुबारक बाद

अम्बरीष मिश्रा


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अम्बरीष मिश्रा

28 February 2011

करोड़ पति कौन ?

नमस्कार ,
हरदोई में वकीलों ने किया माया को काले झंडे दिखने का संकल्प तो सड़क से बद्लागया
मार्ग कोर्ट के सामने लगाई गयी सभी बल्लियाँ उखाड़ ली गयी और माया का रास्ता बदल दिया गया .

कल माया आ रहीं है पर क्या होगा कल ये कल ही पता चलेगा इस लिए कल का इंतज़ार करना पड़ेगा |

आज कल बाबा रामदेव के धन के बारे में चर्चा रही है |
बाबा रामदेव ने कहा कि हमारे  पास कोई बैंक अकाउंट नहीं है और न ही कोई जमीन
बैसे बाबा राम देव ने बताया है कि उनके संस्था के पास 1100 के आस पास की सम्पति है |

और कुछ बाबा है हमारे देश में जानते है उनके बारे में कि कितना धन है उनके पास
बाबा आशाराम लगभग 5000  करोड़
श्री सत्य साईं  लगभग 10000 करोड़   और ये सबसे बड़े हिन्दू बाबा में गिने जाते है
अम्मा नाम से है उनके बारे में कहा जाता है कि वे  3000  करोड़ रु
ये है क्यच नाम हिन्दू लोग से जुड़े बाबा लोगों से
पर इनके साथ
अन्य समुदाय के लोगों के नाम नहीं है
ये मुस्लिम हो सकते है
ये शिख हो सकते है
ये पारशी हो सकते हिया
ये  जैन हो सकते है
ये  इसाई  हो सकते है .
पर ये क्यों है और
इन सब को विदेश से सीधे  धन उप्लाभध होता है
तो कितना धन आता है और क्यों ?

कहा जाता है कि चुनाव के लिए पहल ये रास्ता था कि किस परकार से
धन को लाना है और चुनाव में काला चुनाव बनाना है |





27 February 2011

आज ब्लोग कि महिमा जानने के लिये किया है एक नया काम ,
ई मेल के जरिये कर रहे है ब्लोग बनाने का इन्त्जाम


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अम्बरीष मिश्रा

17 February 2011

कुत्ता पाला, खुजली वाला,

करुणानिधि ने कुत्ता पाला, खुजली वाला,

उसको दिल्ली ले के आये, मनमोहन लाला.

कुत्ते ने वो गंद मचाया, किया हर जगह गू,

पूरे भारत में फ़ैल गयी उसकी बदबू.

वहीं बैठा था एक स्वामी ध्यान लगाए,

इस बदबू ने उसके भी नथुने फढ़काए.

उसने मनमोहन को बोला इसे भगाओ,

इससे कहीं प्लेग न फैले देश बचाओ.

मनमोहन तो भैय्या कुर्सी के ऐसे पिस्सू ठहरे,

स्वामी के आगे बन गए जैसे गूंगे-बहरे.

स्वामी तब गुस्से में हो गए दुर्वासा,

मनमोहन की बत्ती गुल, फेंका ऐसा पांसा.

कलमाड़ी-राजा ने देश जैसा लूटा घनघोर,

हर्षद-तेलगी इनके आगे लगे चिंदी-चोर.

भारत चाहे कितनी भी कर ले तरक्की,

जब तक ये कीड़े जिन्दा, ज़लालत पक्की.


आप को हसी आ रही होगी वेशक आ सकती है
और आनी भी चाहिए क्योकि यही कलाकारी है
और अपने गुस्से को वयंग में बदल दिल्या है
श्री चिरकुट दास जी ने और ये है फेस बुक में
आप इनको जान सकते है

16 February 2011

मेरा पकता ब्लॉग .............

लिखूं या न लिखूं पर लिख दूँ तो कोई पद लेगा और अगर पद लेगा तो .... पढ़ लेगा पर इससे होगा क्या और अगर कुछ हुआ तो सम्हलेगा कौन । सब तो पड़ेंगे और कहेंगे कल अपने दोस्तों से और कुछ तो हस हस हस कर कुर्सी के निचे जा गिरे तो क्या होगा । उनका नुक्सान और अपने ब्लॉग कि बदनामी कि उनके ब्लॉग के reader कितने गिरे हुए है और कही ये खबर आग पकड़ ले ( वैसे अभी तक राज है कि कौन से खबर आग पकडती है नहीं तो मिडिया बस वही दिखाए और आग लगा दे ) तो खबर या लेख fire proof होना अति आवस्यक है । इसके लिए तो फिर हमें अग्निसमन विभाग का फॉर्म भरना पड़ेगा और ससे यह प्रमाण पत्र लेना पड़ेगा कि कही आग भड़के तो यह भी ठीक है कि मैं एक ईशा बोलग लिखूं जिसमे कोई आगा न भड़के और न ही कोई ब्लोगेर महान पुरुस / स्त्री कही गिर न जाए अपने बोलग को शायद किसी बिजली भिभाग के अभियंता से प्रमाण पार्ट लेना भी पड़ सकता है कही मेरे ब्लॉग से किसी को झटका लग गया तो , और भाई ये झटका मत पुचो जिसको लगा वो गया ।
तो एक प्रमाण पात्र अग्निसमन से एक प्रमाण पत्र विजली बिघाग से एक परमान पत्र अस्पताल से भी लेना होगा
अब आप तो यही पूछो गे कि अस्पताल से क्यों तो मैं ये भी बता दूँ कि ब्लॉग लम्बा हुआ और आदमी एक साक में पड़ने कि चाहत रखता हो तो पूरा नहीं पड़ पाया तो या फिर कोई बात उसको आघात पंहुचा दे तो कि उसको अदमित होना पड़े इस करण हमारे चिकित्सा अधिकारी का प्रमाण पत्र का भी अनिवार्य अंग होता है |


पर मेरे इस पकोऊ ब्लॉग पोस्ट का नाम क्या रखूं
मेरा बोलग पाक गया है आप इसे सीघ्र पड़े अन्था ये खरब हो जायेगा ताजे ब्लॉग अच्छी मानशिक सकती प्रदान करते है



जाते जाते ....................

अगर सोचो कि उस्जमाने में इन्टरनेट आजाता या मोबाइल आजाता जिस ज़माने में फ़ोन में एक handil लगा होता था और जितनी बात करनी होती थी तो उतना घुमाना पड़ता था जैसे पानी पीने के लिए जितना पानी चाहिए उतना ही उसको च्लायाजता है
वैसे ही अगर उस ज़माने में नेट या इन्टरनेट आता तो क्या होता ।
पता चला कि मैं एक गनते के बोलग लिखने के लिए रिक्से जैसे उपकरण पर पैदल मार मार कर नेट चलता रहत और लिखता रहता और कुछ उसी प्रकार हमरे दोस्त अजय कुमार झा जी जब रात में सोते तो उनकी पत्नी कहती अजी सुनते हो क्या हुआ तो वो कहते कि क्या बताये जरा एक लेख लिख रहा था तो पैर दर्द कर ने लगा
जहान एक और चैटिंग करते समय उँगलियाँ चलती वही दूसरी और उस नेट को चलने के लिए अपने इन्टरनेट उपकरण को पैदल मार मार कर मार मार कर चैटिंग कि जाती तो मेरे पडोश में रहने वाले लोगो तो यही कहते कि कंप्यूटर पे चाटिंग करने से अच्छा होता कि आप रिक्शा चला कर खुद ही आ जाते हम भी बहार घूम आते ।
इसी प्रकार से और भी बाते होती ।

आप कि क्या राय है

अम्बरीष मिश्रा

मुद्दा

हमारे देश में जो भी क़ानून है वो सभी पछिम देशो कि uapaj है । वहाँ के परिधान में यहाँ कि गर्मी के समय में भी क़ानून वाय्व्था चलती है । इसका अनुसरण कितना तगड़ा है यही सोचा जा सकता है ।

पर बहुत से क़ानून लाने में ये सरकारे बहुत कमज़ोर है जो कि साफ़ पता चलता है
सूचना का अधिकार का कानून इस परकार नहीं आया इसके पीछे बिल लाया गया गया
और ये उपज थी " अरविन्द कज़रिवल " की अरविन्द कज़रिवल जी एक बहुत बड़े समाज सुधारक है
जिन्होंने सूचना का अधिकार लाये

इसी पकार कई क़ानून है लोगों और वकीलों की भलाई के लिए
इस के लिए बकील समाज को अपने मुद्दे खुद उठाने होंगे ...


अमेरिका में एक सिविल कानून में है कि कोई अगर केस करता है तो उसे आने कि जरुरत नहीं है और उसका केस का एक भी khrcha उसे करने कि जरुरत नहीं है ये सब बकील करेगा । claint तो केवल उस मिलने वाली रकम में हिस्स्सेदारी निभाएगा और पैसा एक भी नहीं लगाएगा और न ही तारीखों पे आएगा ।

जानकारों के मन में कुछ उठा पाठक चलने लगी है पर ........ बात अभी बाकी है
किसी करण कोई लेट हो गया जिससे उसे नुक्सान हुआ तो इसके लिए

भारत में
उसने वाद लाया और फिर महीनो तारीख पे आना और उस के लिए अपना समय गवाया पैसा गवाया और फिर जो फिसला आया उसके मुताबिक एक परेशानी के लिए पूरे समय को दोषी ठहरता है और वो उस लाइन में लग जाता है जिसका कोई अंत नहीं मालूम होता है जैसे कुछ केस ख़तम होने से पहल आदमी ख़तम हो जाते है ।

अमेरिका में


पहले तो वो किसी अधिवक्ता से मिलेगा अपनी परेशानी बताएगा और फिर अधिवक्ता उसे हां या ना कहेगा क्योकि
वहां ये तय होता है कि अगर केस जीतता हूँ तो उसका 20 - 30 or 50 % मैं अपनी फीस के नाम पे ले लूँगा ।
और ये सब लिखित होता है उसके बाद अधिवक्ता उस केस से सम्बंधित साबुत जमा करत है और उसकी फीस खुद जमा करता है ( ये भारत में नहीं होता है ) और पूरा केस खुद लड़ता है अगर हार जाता है तो clint से मतलब नहीं होता कि वो वकील साहब का नुक्सान दे और हाँ अगर जीत जाता है और मुआवजा के रूप में मिलने वाले लाखो रुपये में उसका हिस्सा उसकी फीस होती है ।
तो जब claint को परशानी नहीं होती तो वो केस करने में नहीं हिचकिचाता है ।



भारत में अगर ये क़ानून बना दिया जाये तो वकील कि pozition और भी अच्छी हो सकती है और गरीब भी बेधड़क अपना हक माग सकता है

यहाँ पे यह सुभिधा मुफ्त कानूनी सहायता केवल अनसुचित जाती, जन जाती, महिलाये, बह्चे, विकलांग आदि लोग है इस के लिए क़ानून में 1985 /1995 के क़ानून में परिभाषित किया गया है


पर जरा सोचिये कि कोर्ट में महिलाये बच्चे या विकलांग पूरे दिन कैसे nayayalay में कैसे रहेगा क्योकि महिला है तो खाना बनाना बचो के लिए ये सब नहीं हो सकता है


और अंत में .. . . . . .. . . .


अगर आ जायेगा वो क़ानून यहाँ
तो बकिलो कि हस्तियाँ बन जाये
न हो अँधेरा यहाँ हर कोई सजग हो जाये
घूस को चूस लो उस जहर कि तरह जो
सपेरा जहर निकलता है बचालो अपनी
अर्थवव्स्था , यही तुम्हारा कमाऊ पूत है

( ये जिन्दा रहेगा तो आप फलेंगे फूलेंगे हमारी अर्थ वाव्स्था में
भ्रस्ता चार जहर की तरह है )



अम्बरीष मिश्रा

06 February 2011

ताकत :
ताकत की ताक
फिर चुनाव की खाक
गाव गाव चुनाओ की काव काव
वो रत्तू तोता हरी वर्दी वाला
...काले कौए का मुह वोला साला
उस्को नकल की अकल है
पर है तो नकल ही

पिछ्ले पाच साल
थे कैसे हालात
देश 10 % कि दर से वद रहा था
और हम उस्से अछुते
इन पाच सालो मे
50 % पिछड गये

ये क्यो हुआ क्योकि विपछ खामोश था
और इसी क जन्ता मे रोश था

अब कौन करेगा
काव काव गाव गाव . . . . . .

29 January 2011

आज ३० है और आज के ही दिन गाँधी जी कि नाथूराम गोडसे ( RRS) ने गाँधी जी की हत्या कर दी थी ।
इस बातको लेकर कांग्रेश ने ( RRS) को समाप्त करने ले लिए कदम उठाये पर विरोध में वो ईशा नहीं कर पायी



आज अफ्रीका और एसिया कि शीमा पर पाच देश में गढ़ युद्ध चल रहा है । और सरकारी मलाई लगे लोग हटना नहीं चाहते है उन्होंने जनता का विस्वाश खो दिया तो
सिंघासन खली करो कि जनता आती है - जनता ने विद्रोह कर दिया

कभी सोचा न था ......... कि आप भी.... मेरे ब्लोग पे होंगे !