23 October 2009

अंत कब तक ...........

सब कुछ खलाश
जिन्दगी एक लाश
बातें बकवास
घर बनवास
किताबे उपन्यास
agan kavristaan
फ़ोन bana janjaal
pani कला पानी
हर पर एक नयी चाहत
और धुन्धता हूँ में
एक कोना
एक बिछोना
कुछ सिसकियाँ
कुछ रोना
दुनिया से दूर
एक ........
नयी दुनिया की तलाश
मेरी जिन्दगी मेरी तलाश

1 comment:

sangharsh.org said...

nothing to say dont' be confuse

bhaskar singh
vandemataram

कभी सोचा न था ......... कि आप भी.... मेरे ब्लोग पे होंगे !