20 March 2011

मद मस्त इस तौहार में ,
न जीत में न हार में
केवल रंग हो प्यार के
पिचकारी के बौछार से
गुलाल से न लाल हो
...हरा से न हलाल हो
होली के रंगों से भरा ये साल हो

जो न खेले रंग उसे मलाल हो

आप को अम्बरीष की ओर से होली कि
विशेष रंग  भरी कविता से - होली की  मुबारक बाद

अम्बरीष मिश्रा


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अम्बरीष मिश्रा

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कभी सोचा न था ......... कि आप भी.... मेरे ब्लोग पे होंगे !