18 June 2011

मायाजाल (INTERNET) को धोखा दे !



भाईयो दोस्तो और प्रसशक ,
जैसा कि आज कल हमरी खाश face book के कारन दिन प्रतिदिन हम अप्ने भावनये और तुरन्त प्रतिकिया online के द्वारा भेजते है । और यही हमरी समस्या बन जाती है क्योकि भले हमरी सरकार से इस प्रकार का कोई अन्होनी नही होती है पर कुछ विदेशी इस पर नज़र रख्ते है और वो हमरी हिन्दी को अग्रेजी मे भाषा रुपान्तरण कर आसानी से समझ जाते है
इस के लिये आप मेरा एक कमेट देखे़गे कि किस प्र्कार एक CIA या कोई खुफिया विदेशी विभाग ने हिन्दि के लेख मे मेरे द्वारा दिये गये वचन पर तुरन्त ही प्रतिक्रिया दी । एक विदेशी द्वारा इस प्रकार का वय्व्हार मेरे लिये सच मे सोचने की बात थी तो आपकी खबर ने भी मुझे सम्पर्क किया और जान्ना चाहा या वो कोई और था ।
पर मेरे द्वारा जबाब से वो सन्तुस्ट था ।
ये खबर है 25 aprail 2011 की जिस्मे ये बात हुयी है , जरा सोचिये कि ये कित्ना घातक है हमरे लिये कि हमारी भाव्नाओ को कोई पड रहा है और बाद मे वो व्यापार करेगा और हमरी मेहनत को दिमा़ग के बल पर ले जयेगा ।
ये खबर क्यो जरुरी है और इस से कैसे बचे
आप अपने लेख मे कुछ खास नाम , काम , या क्रिया को सीधे न लिख कर उसे भ्रमित भाषा मे लिखे ये समझ्ने योग्य हो क्योकि मशीने इत्ना दिमाग नही रख्ती है कि वो समस्या का समाधान कर सके
ये कैसे कर्ना है अगर मै ये कहु कि मन्मोहन ने दिलली मे ओबामा से मिले तो अगर मै कोइ शब्द बद्ल दु तो उस्को सुधारा जा सक्ता है पर यदि मै हर सब्द को हि पर्वर्तित कर दुन और उस्का आसय सम्झा दुन तो ये उत्तम रहे़गा ।
कहा जाता है कि जब महान ज्योतिश नास्त्रे दमस की सीधी भविश्य्वानी पर रोक लगा दी तो उस्ने कविताऒ के मधय्म से बात कहना सुरु किया इस पर्कार ही हम लोग भी कर सक्ते है और अपने सम्बादो को सुरछित कर सक्ते है
जैसे हन्होहन ने हिल्ली मे होवामा से मिले इस्मे कोइ कम्पुटर नहि सम्झ सक्ता और ना हि कोइ और इस्का तोड जल्दि जल्दि निकाल सक्ता है
तो आगे से आप मेरे कमेट पर परेशान नहि होन्गे

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कभी सोचा न था ......... कि आप भी.... मेरे ब्लोग पे होंगे !