16 April 2009

लिखते लिखते थक गए हाथ ,
गुजरा दिन गुजरी रात ,
कुछ लिखने की बात
पर न बने हालत ,
तब मैंने बनाया
मेरा ब्लॉग मेरी बात ,


जज्बात बह रहे थे
पर कैसे बदले हालत सब मौन थे
फिर मेरे भाई
तब मैंने बनाया
मेरा ब्लॉग मेरी बात ,


तुम लिखोगे तो क्या होगा
जब अच्छे अछ्के बिक गए
जब कलम भी घिस गयी
और न बदले हालत
तब मैंने बनाया
मेरा ब्लॉग मेरी बात ,


आप परेशां न हो
टेंसन न ले
क्यकी आने वाला कल
कर देगा बरबाद
तब मैंने बनाया
मेरा ब्लॉग मेरी बात ,

मैं बोलूँगा बिस घोलूँगा
बदलूँगा हालत
कल आज और कल
अपनी ताक़त के साथ
तब मैंने बनाया
मेरा ब्लॉग मेरी बात ,

ये बिस कुछ नया कर दिखायेगा
बदलेगी कल की सूरत
और बदलेगा इतिहास
पर कैसे बदले हालत
केवल और केवल जाने
मेरा ब्लॉग मेरी बात ,

"अम्बरीष मिश्रा" अब आपके साथ

1 comment:

mark rai said...

yahan aakar kaaphi achchha laga...kuchh naya to mila...

कभी सोचा न था ......... कि आप भी.... मेरे ब्लोग पे होंगे !