19 April 2009

दुख बड़े काम की चीज है,

दुख बड़े काम की चीज है,
दुख ना हो तो कोई किसी को याद नहीं करेगा,
कोई प्रभु से फरियाद नहीं करेगा।
सुख चालाक है भटकाता है ,
अपने पते पर कभी नहीं मिलता।
दुख भोला-भाला है,
दूसरों के पते पर भी मिल जाया करता है।
दुखी बने रहो कोई ईर्ष्या नहीं करेगा,
सुखी हो गये तो संसार नही सहेगा।
जिंदगी को जहाँ छुओ घाव ही घाव है,
दुख में जिंदगी के स्थायी भाव है।
दुख अंतरंग है,सदा संग-संग है।
सुख तो उच्छ्रंखल है,
दुख में तमीज है,
दुख बड़े काम की चीज है।

पर ये दुःख मेरा सकलन मात्र है न की रचना

4 comments:

Ashish Khandelwal said...

आपका यह संकलन काबिलेतारीफ है..

mark rai said...

sahi kaha bhai...isi dukh me insaan insaan banta hai ...dusare ke dukh dard ko samjhta hai ...

हरकीरत ' हीर' said...

मान गए भाई दुःख बड़े काम की चीज़ है ....!!

Urmi said...

पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ की अपने मुझे मंच पर आने का आमंत्रण दिया है पर मैं समझती हूँ की इतनी बड़ी कलाकार तो मैं हूँ नहीं आपके जैसा बस थोडी बहुत कोशिश करती हूँ लिखने की और साथ में अपनी बनाई हुई पेंटिंग्स भी देती हूँ ताकि सबको अच्छा लगे! मैंने सोचा की ऍफ़ एम् भी लगाऊ तो शायरी पड़ने के साथ साथ मन भी बहल जाएगा! मेरे पापा मम्मी मुझे बबली बुलाते हैं यानि घर का नाम और बाकि सब मुझे उर्मी बुलाते हैं इसलिए दोनों ही मेरा नाम है!
बहुत ही सुंदर लिखा है आपने! लाजवाब !

कभी सोचा न था ......... कि आप भी.... मेरे ब्लोग पे होंगे !