22 May 2010

दोस्तों ,
आज भी हमारे देश में मौतों का सिलसिला जरी रहा जहाँ एक तरफ विमान दुर्घटना में 160 लोगो ने जान गवई वही गर्मी से कुछ लोगो ने जान गवाई, इसी प्रकार और लोगो ने मार्ग दुर्घटना में लोगों ने जान गवाई , जान जिसकी भी एक कीमत है येशा हुआ बनारस में कि गर्मी में कुए कि सफाई के दौरान एक मजदूर ने जान गवाई ,

हर जान कि कीमत लगा दी गयी कीमत 50,000 (हज़ार ) से 75,00,000 (लाख) तक गरीव कि जान की कीमत कम और अमीर कि जान कि कीमत ज्यादा ....... और हम कह सकते है कि हमरे देश में कानून सभी के लिए बराबर है ...... और इसा है भी ......
एक मजदूर जो कुए को साफ़ करने के लिए कुए में उतरता है और सफाई करने के दौरान जहरीली गैस निकलने में होती है उसकी मौत वो लोगों की प्यास बुझाने के लिए ये काम कर रहा था मतलब और उसको कहा जाता कि
तुम्हे ये गंदगी मतलब मल टैंक साफ़ करना है तो शायद वो इनकार कर deta क्योकि उसका मन था कई लोगो के लिए काम करना जो कि लोगों कि प्यास बुझा सके प्यास ............. और वो गया और वो चला गया अपने पीछे अपने परिवार को छोड़ के कुछ बच्चो को छोड़ के वो गया ........

अब शायद ये होगा ..............
  1. बच्चे पड़ नहीं पाएंगे , काम करण पड़ेगा , रोटी के लिए हर दिन संघर्ष ( मदद के लिए न सरकार न घर परिवार )
  2. अथिक मदद के चक्कर में वो अपनी जमा पूंजी में अपने थोड़े से बचे हुए पैसे घूस के निवाले बना बना के इस बेकार और लाचार सरकार को खिलाने पड़ेगा |
  3. शायद घर जमीन पर दबंग कव्जा कर ले और ...... ........ ........... भी बहुत कुछ ..... पर सरकार को क्या कोई मरे या जिए |
समुदाय के आय और विकाश की बातें सरकार के पास है पर जो चीज़े घटक / लोग समुदाय को कमजोर करती है उनके लिए नहीं और ....... ( जिनके पास कागजी ज्ञान है वो मोहताज़ नहीं और जो मोहताज़ हैउनके पास कागजी ज्ञान नहीं )

धन्यबाद

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कभी सोचा न था ......... कि आप भी.... मेरे ब्लोग पे होंगे !