23 December 2011

कमेन्ट आज के दिन बाजपाई ब्लॉग

सडक से ससद तक और संसद से सड़क तक का मार्ग का गेट है - चुनाव


ये चुनाव ही तय करता है कि कौन संसद जाये और कौन सड़क पे रहे और इस गेट का चौकीदार है जनता ।
ये चौकीदार देख तो सकता है
पर न बोल सकता है और न ही चल सकता है
न ही इसके पास लाठी है और न ही ये सीटी बजा सकता है ।

जैसे 121 करोड की जनता मे 11 करोड ही सरकार चुनती है और..
110 करोड को गर्व है भारतीय होने पे और नेतओ को चुनकर अपना वोट बेकार नही करना चाहते है
और अनेकता के कारण इधर उधर देखा करते है ।

क्योकि ये 11 करोड ही वोट बैक है क्योकि ये ही सरकार तय करता है तो क्या कोई ऎसा सिस्टम है कि कम से कम पप्पू पास हो जाये 60 नही तो 33 ही सही पर पास हो जाये ।

चौकीदार अगर सही देखने लगा और रोकने और टोकने की ताकत आ गयी तो चोर कभी भी लोकत्रंत के मन्दिर मे जा कर उस के गहने नही चुरा पायेगा ।

कुछ लोग 3 साल से पत्थर (समस्या )रगड रगड के आग पैदा कर रहे थे और कह रहे थे कि ये आग आप की उर्जा के रुप मे काम करेगा ।

अंग्रेजी मे एक कहावत है कि line को बिना छुये छोटी करने के लिये क्या उपाय है । बहुत से लोग जानते है कि अन्ना का आना और कुछ मुद्दे का पीछे होना । क्या एक इतेफाक है , क्या संसद की बढी तारीख और उसके बाद अन्ना का अनसन भी उनही तारीखों तक क्या है ।

खैर आम के पेड गिनने की जरुरत नही बस चौकीदार इतना ज्ञान वाला हो जाये कि वो चीजे <विज्ञापन>समझ ले ,देख ले , जान ले , बोल सके ,

क्योकि संघर्ष अभी बाकी है ...........

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