करुणानिधि ने कुत्ता पाला, खुजली वाला,
उसको दिल्ली ले के आये, मनमोहन लाला.
कुत्ते ने वो गंद मचाया, किया हर जगह गू,
पूरे भारत में फ़ैल गयी उसकी बदबू.
वहीं बैठा था एक स्वामी ध्यान लगाए,
इस बदबू ने उसके भी नथुने फढ़काए.
उसने मनमोहन को बोला इसे भगाओ,
इससे कहीं प्लेग न फैले देश बचाओ.
मनमोहन तो भैय्या कुर्सी के ऐसे पिस्सू ठहरे,
स्वामी के आगे बन गए जैसे गूंगे-बहरे.
स्वामी तब गुस्से में हो गए दुर्वासा,
मनमोहन की बत्ती गुल, फेंका ऐसा पांसा.
कलमाड़ी-राजा ने देश जैसा लूटा घनघोर,
हर्षद-तेलगी इनके आगे लगे चिंदी-चोर.
भारत चाहे कितनी भी कर ले तरक्की,
जब तक ये कीड़े जिन्दा, ज़लालत पक्की.
आप को हसी आ रही होगी वेशक आ सकती है
और आनी भी चाहिए क्योकि यही कलाकारी है
और अपने गुस्से को वयंग में बदल दिल्या है
श्री चिरकुट दास जी ने और ये है फेस बुक में
आप इनको जान सकते है
17 February 2011
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